Sri Krishna is an Indian television series created written and directed by Dr Ramanand Sagar. Sri Krishna is an adaptation of the stories of the life of Lord Krishna based on Bhagavat Puran, Brahma Vaivart Puran, Hari Vamsa, Vishnu Puran, Padma Puran, Garga Samhita, Bhagavad Gita & Mahabharat.
Shree Krishna Dialogue in Hindi
“हे बालिके
इंद्र से जाकर कहना
के स्वर्ग के सारे सुख नश्वर हैं
आज हैं
तो कल नहीं रहेगा
जिस तरह से
इंद्र के पद पर
सदैव एक इंद्र ही नहीं बैठा रहता
उसी तरह वहाँ के सुख और वैभव भी
क्षण भंगुर ही होते हैं
हम जिस आनंद के सहारे यहाँ बैठे हुए हैं
उसका पता
भला इंद्र को लग भी कैसे सकता है।”
“मैं तो केवल प्रेम के वश में हूँ
जहां मेरा प्रेमी मुझे बुलाएगा
मैं वहीं हूँ
वास्तव में मैं तो सब जगह हूँ
केवल दिखता नहीं
जैसे अंधकार में वहीं पड़ी हुई कोई वस्तु
दिखाई नहीं देती
और दीपक जलते ही
वो वस्तु दिखाई देती है
उसी प्रकार
यदि मुझे देखना हो
तो केवल प्रेम और भक्ति का दीपक जलाओ
मुझे वहीं खड़ा पाओगे
यही परम ज्ञान है।”
“मनुष्य के द्रिड़ निश्च्य के आगे
कुछ भी असम्भव नहीं रहता पार्थ
जब भी कोई जीव
द्रिड़ संकल्प होकर
एक द्रिड़ विश्वास के साथ
किसी भी काम का बीड़ा उठता है
तो देव्य शक्तियों को
उसकी सहायता के लिए स्वयं ही आना पड़ता है
यही कर्म का
दैवी विधान है अर्जुन।”
“किसी ने ये सोचा है
कि दो महान राज्य हैं
उनको अपने अधीन करना
परम दुष्कर कार्य है
एक है हस्तिनापुर
और दूसरा मग़ध
क्या ये दोनों महान शक्तियाँ
सहज में ही आपकी अधीनता स्वीकार कर लेंगी
इस परिस्थिति में जहाँ हमारा कार्य नीति से चल जाए
वहाँ हमें नीति का ही सहारा लेना होगा
और जहाँ युद्ध अपरिहार्य हो
वहाँ हमें पूरी शक्ति के साथ आक्रमण करना होगा
यही राजनीति है महाराज।”
भाई भाई में
दरार पैदा करने की कुटिल चाल
शकुनि ने
कौरव और पांडवों में चली थी
और आज फिर
उसने वही चाल कृष्ण और बलराम के साथ चली है
उन्होंने ऐसा पाँसा फेंका है
की बलराम भैया ने
दुर्योधन को अपना शिष्य बना लिया है
और मेरे भोले भले दाऊ भैया
उसकी बातों में आकर
उसकी चाल में फँस गए हैं रुक्मिणी
क्षमा माँगने से मित्रता के रिश्ते को लाज लगती है
क्योंकि मित्रता की पहचान यही है की यदि
एक मित्र धोखा भी दे तो भी दूसरा उसे
मित्रता की पहचान समझकर उस धोखे
को हँसके स्वीकार कर ले
अरे यदि दोनों एक दूसरे के लिए
अच्छे अच्छे रहेंगे तो मित्रता की पहचान
कब होगी मित्र बने हो तो मित्र की अच्छाई
बुराई सब भूल जाओ
केवल मित्र बने रहो बस केवल मित्र
राधे माया की ऐसी शक्ति नहीं कि वो हमारे भक्तों के साथ खेल सके
कोटि जन्मों की तपस्या और पुण्यों के कारण यशोदा को हमारी माता बन कर
हमारी बाल लीला का आनंद पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है
माता के वात्सल्य का ऋण चुकाने के लिए अपनी सृष्टि का ये विराट स्वरूप
जो आज हमने यशोदा मैया को दिखाया है आजतक इस धरती के किसी मानव को नहीं दिखाया
इसलिए हमारे इशारे पर योग माया ने फिर से उनकी आत्मा पर मोह का पर्दा डाल दिया है।
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देखो राधे ये सब जो ग्वालिनें हैं ये अपने पिछले जन्मों में
बड़े बड़े योगी सिद्ध और तपस्वी थे
जिन्होंने जनम जन्मांतर घोर तपस्या करके हमारे साथ ममता का रिश्ता माँगा था
इन सब की कामना थी की हमारी माता बने एक जनम में कितनी माँओं को सम्भालूँ
पहले से ही दो माताओं में बँटा हुआ हूँ सो हमारे प्रति इनकी ममता और स्नेह की प्यास भजने के लिए
योग माया ने इन्हें ग्वालिनों के रूप में गोकुल भेज कर इनकी अंगतरंग इच्छा पूर्ण कर दी है।
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देखो राधे प्रेम किसी दूसरे से किया जाता है
हममें दूसरा कौन है हम दोनों तो एक ही हैं
जैसे दूध में सफ़ेदी और आग में गर्मी होती है
जैसे धरती से गंध और जैसे नदी से नदी की लहरें अलग नहीं होती
ऐसे ही हम और तुम दोनों एक हैं हममें कोई भेद नहीं।
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देखो राधे जैसे आत्मा के बिना शरीर मृत होता है
वैसे ही शरीर के बिना आत्मा भी नहीं देखी जा सकती
ऐसे ही हमारे बिना तुम निर्जीव हो और तुम्हारे बिना हम अदृश्य हैं
आत्मा और शरीर की एकता के बिना ये सृष्टि कैसे चल सकती है।
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रामायण डायलॉग Ramayan Dialogue Status Part 1